पत्थर सी हो गयी
पत्थर सी हो गयी
आँखे मेरी
उनके इन्तजार में
हाथ से
छू कर जो देखा
पुरनम थीं
आँखे मेरी
हिमांशु Kulshrestha
पत्थर सी हो गयी
आँखे मेरी
उनके इन्तजार में
हाथ से
छू कर जो देखा
पुरनम थीं
आँखे मेरी
हिमांशु Kulshrestha