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7 Jan 2025 · 1 min read

काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में

काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
छू लेता तेरे सारे दर्द अपने सारे ज़ख्मों से
देखनी थी तेरी आँखें छूने थे तेरे बाल
उठा दिया कम्बख़्त अलार्म ने बिना देखो मेरे दिल का हाल
सोचा था नहीं बताऊंगा किसी को अपना ये सपना लेकिन ये सपना, अब मेरे हर एक किस्से में है
कर वादा कल फिर आना ऐसे ही किसी मेरे सपने में
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में

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