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7 Jan 2025 · 1 min read

चतुष्पदी

चतुष्पदी
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नभ पर घन छाए हैं देखिए।
मनहर पल आए हैं देखिए।
रिमझिम मन भाती हैं बारिशें।
कुदरत सरसाती हैं बारिशें।
~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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