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6 Jan 2025 · 1 min read

ग़ज़ल...

किसी लाचार से सुन मुफ़लिसी क्या चीज़ होती है
मुसाफ़िर से सफ़र की बात में तहज़ीब होती है//1

ग़ज़ल से गीत की बातें अगर कविता सुनाती है
क़सम से प्यार की नमक़ीन ये तरक़ीब होती है//2

उधारी में कोई माँगे उधारी भूल जाते हैं
उसूलों से परे जाकर ये हद नाचीज़ होती हैं//3

सँवारों तो सँवारेंगे बिखेरो तो बिखेरेंगे
उसूलों में कही बातें बड़ी महफ़ूज़ होती हैं//4

अमीरों से कहो जाकर ग़रीबी देखकर आओ
तभी सच्ची बड़ी अच्छी लिखाई न्यूज़ होती हैं//5

कपट के जाल में फँसना फसाना छोड़ दो अब तो
यही बातें अरे सुनकर हमें अब ख़ीज़ होती है//6

चलो ‘प्रीतम’ मुहब्बत प्यार की छोड़ो यहीं बातें
हसीनों से हमें अब तो अरे ताक़ीद होती है//7

आर. एस.’प्रीतम’

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