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6 Jan 2025 · 1 min read

चमकती चाॅंदनी

आसमाॅं की तरफ देखा
तो चाॅंद बिखेरता अपनी
चाॅंदनी उजली उजली
चमकती बिजली सी

कभी धूप सी खिली खिली
खिलखिलाती
कल्पनाओं के शिखर पर
कवियों की प्रेम कविताओं का
तराना बनती
दमकती कली सी
आज फिर आसमाॅं में
चमकती चाॅंदनी चाॅंद की।

अंधेरी रात में
चीरती अंधेरे को
सपनों की उड़ान पर
चली हो लहराने परचम
सागर की लहरों संग
जैसे छूती हो
घाटी की तली सी
आज फिर आसमाॅं में
चमकती चाॅंदनी चाॅंद की।

तारों के शामियाने में
नाचती, बलखाती वो चाॅंदनी
जगाती उमंगें दिलों में
जैसे कोई अनसुनी कहानी
कहती हो किसी से
छेड़ती कोई सरगम नई सी
आज फिर आसमाॅं में
चमकती चाॅंदनी चाॅंद की।

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 130 Views
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