*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*
अब मुझको तुमसे कोई उम्मीद नहीं
मेरी ज़िंदगी — एक अतुकान्त कविता
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं है, आपको हर चीज के लिए एक कीमत चु
बिल्ली पर कविता -विजय कुमार पाण्डेय
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
कुंभकार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
सात वचन,सात फेरे सब झूठ निकले।
Physical and Financial Slavery in the Modern Democratic and Capitalistic World
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
बड़ी बातें बेची गईं, तुमको कि ख्वाब मुक़्कम्मल ना हुए, अब को