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4 Jan 2025 · 1 min read

आया नूतन वर्ष जब, झूम रहे अरकान |

आया नूतन वर्ष जब, झूम रहे अरकान |
युवक युवतियों नाचते, मचल गये अरमान||
मचल गये अरमान, नाचती व्हिस्की बोतल |
बाहों में हो बांह,झूमती काया कोमल||
दारू करती नाश,जवानी करती जाया |
दारू छोड़ें त्वरित,आज नूतन दिन आया ||

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव “प्रेम ”

जाड़े में जब हो गये,नौ के नब्बे खर्च |
नए वर्ष में जब सभी, पहुंचे सीधे चर्च||
पहुंचे सीधे चर्च, पहनकर कपड़ा दूना |
फिसले डी०जे० बीच,पहुँच ना पाए पूना ||
कहें प्रेम कविराय, डाक्टर हड्डी ताड़े |
खरचा नर्सिंग होम, भर रहे पूरे जाड़े ||

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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