Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2025 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . जीवन

दोहा पंचक. . . . जीवन

पीपल बूढ़ा हो गया, झड़े पीत सब पात ।
अपनों से मिलने लगे, घाव हीन आघात ।।

ठहरी- ठहरी जिन्दगी, देखे बीते मोड़ ।
टीस छलकती आँख से,पल जो आए छोड़ ।।

विचलित करता है सदा, सुख का बीता काल ।
टूटे से जुड़ती नहीं, कभी वृक्ष से डाल ।।

अपने ही देने लगे, अब अपनों को मात ।
मिलती है संसार में, आँसू की सौग़ात ।।

पल – पल ढलती जिंदगी, ढूँढे अपना छोर ।
क्या जाने किस साँस की, अन्तिम होगी भोर ।।

सुशील सरना / 3-1-25

18 Views

You may also like these posts

नन्हा मछुआरा
नन्हा मछुआरा
Shivkumar barman
कैसा
कैसा
Ajay Mishra
रामायण  के  राम  का , पूर्ण हुआ बनवास ।
रामायण के राम का , पूर्ण हुआ बनवास ।
sushil sarna
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
Mukesh Kumar Sonkar
बस यूँ ही
बस यूँ ही
Neelam Sharma
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
दियो आहाँ ध्यान बढियाँ सं, जखन आहाँ लिखी रहल छी
DrLakshman Jha Parimal
राम गुण जानी के,
राम गुण जानी के,
Mr. Jha
सुबह की चाय की तलब हो तुम।
सुबह की चाय की तलब हो तुम।
Rj Anand Prajapati
* शुभ परिवर्तन *
* शुभ परिवर्तन *
surenderpal vaidya
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
एक महिला तब ज्यादा रोती है जब उसके परिवार में कोई बाधा या फि
Rj Anand Prajapati
😊आज😊
😊आज😊
*प्रणय*
सूरत
सूरत
Sanjay ' शून्य'
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
सच तो जिंदगी भर हम रंगमंच पर किरदार निभाते हैं।
Neeraj Agarwal
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
शेखर सिंह
Toughness of the way
Toughness of the way
Sanjay Narayan
आप देखो जो मुझे सीने  लगाओ  तभी
आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी
दीपक झा रुद्रा
थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ,
थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ,
पंकज परिंदा
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
कोई कितना
कोई कितना
Dr fauzia Naseem shad
नित नई तलाश में
नित नई तलाश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/173.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मातु शारदे
मातु शारदे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
श्रेणी:हाइकु - डी के निवातिया
श्रेणी:हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
होली की आयी बहार।
होली की आयी बहार।
Anil Mishra Prahari
और इच्छा हो जाती है
और इच्छा हो जाती है
Vishnu Prasad 'panchotiya'
नज़र से जाम पिलाने का कोई सबब होगा ।
नज़र से जाम पिलाने का कोई सबब होगा ।
Phool gufran
"फर्क"
Dr. Kishan tandon kranti
*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"संघर्ष "
Yogendra Chaturwedi
दुनिया में तरह -तरह के लोग मिलेंगे,
दुनिया में तरह -तरह के लोग मिलेंगे,
Anamika Tiwari 'annpurna '
Loading...