*स्वतंत्रता आंदोलन में रामपुर निवासियों की भूमिका*
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
अब छोड़ जगत क्षआडंबर को।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
और क्या ज़िंदगी का हासिल है
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
हाइकु -तेरे भरोसे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'