Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2024 · 1 min read

गतवर्ष से नववर्ष तक

गतवर्ष से नववर्ष तक
सालों का सिलसिला चला
उठकर यादों का काफिला चला
चुपचाप सूरज ढला
गुमशुम शाम हुई
सर्द रात सोई
सपनों का बादल पिघला
घने कोहरे का पांव
नरम नरम दुबों पर फिसला
तुम बदले,हम बदले
हवा,धूप,माटी,नीर
सबमें तब्दीली है
कुछ इस कदर ये साल बदला

1 Like · 133 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*मनकहताआगेचल*
*मनकहताआगेचल*
Dr. Priya Gupta
शिल्पकार
शिल्पकार
sheema anmol
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)
गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)
Dr Archana Gupta
टूटकर जो बिखर जाते हैं मोती
टूटकर जो बिखर जाते हैं मोती
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
Ravi Betulwala
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
ग़ज़ल (ज़िंदगी)
डॉक्टर रागिनी
शिक्षक सभी है जो उनको करते नमन
शिक्षक सभी है जो उनको करते नमन
Seema gupta,Alwar
“बधाई हो बधाई सालगिरह”
“बधाई हो बधाई सालगिरह”
DrLakshman Jha Parimal
आखिर तो हूँ एक
आखिर तो हूँ एक "परिंदा"
पंकज परिंदा
दोहा पंचक. . . . . प्रीति
दोहा पंचक. . . . . प्रीति
sushil sarna
"मैं मजदूर हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
3689.💐 *पूर्णिका* 💐
3689.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कूड़ागाड़ी (बाल कविता)
कूड़ागाड़ी (बाल कविता)
Ravi Prakash
बधाई हो
बधाई हो
उमा झा
वैर भाव  नहीं  रखिये कभी
वैर भाव नहीं रखिये कभी
Paras Nath Jha
F8bet là một trang nhà cái uy tín nhất hiện , giao diện dễ n
F8bet là một trang nhà cái uy tín nhất hiện , giao diện dễ n
f8betcx
ज़िन्दगी में अच्छे लोगों की तलाश मत करो,
ज़िन्दगी में अच्छे लोगों की तलाश मत करो,
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
म़गरुर है हवा ।
म़गरुर है हवा ।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
होके रुकसत
होके रुकसत
Awneesh kumar
जिसके हर खेल निराले हैं
जिसके हर खेल निराले हैं
Monika Arora
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर लेता जल कुंभ का , मन गंगा सा होय ।
हर लेता जल कुंभ का , मन गंगा सा होय ।
Neelofar Khan
कैसी मनोदशा हैं मेरी
कैसी मनोदशा हैं मेरी
ललकार भारद्वाज
The destination
The destination
Bidyadhar Mantry
जिद है कुछ पाने की
जिद है कुछ पाने की
AMRESH KUMAR VERMA
#प्रसंगवश....
#प्रसंगवश....
*प्रणय प्रभात*
Loading...