Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
29 Dec 2024 · 1 min read

बबूल

बबूल
बबुल भी हर बार,
बबुल नहीं होता है।
कभी कभी वह भी,
भरती दोपहर में,
तप तपती रेत पर,
जलते नंगे पेरो पर,
राहत बरसात करता,
एक गुलमोहर होता है।
(लेखक- डॉ शिव लहरी)

Loading...