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29 Dec 2024 · 1 min read

समय के सांचे में सब ढल जाते हैं

समय के सांचे में सब ढल जाते हैं
न चाहते हुए भी सब बदल जाते हैं
जो छोड़ते नहीं उम्मीदों का दामन
बुरे हालात में भी सम्भल जाते हैं

नूर फातिमा खातून नूरी
जिला -कुशीनगर

Language: Hindi
Tag: Poem
165 Views
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