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28 Dec 2024 · 1 min read

पंचतत्व में विलीन सखि री! इक दिन है सबको होना।

पंचतत्व में विलीन सखि री! इक दिन है सबको होना।
क्षणभंगुर ये जीवन सपना, अंततः धरती ही बिछौना।।

सुख- दुःख दोनों ही क्षणभंगुर, इक आए और इक जाए।
चमके क्षण भर, फिर खो जाए,जैसे मेघों का जल बह जाए।
है सत्य अटल, ये जीवन चक्र,फिर भी क्यों घुट-घुट रोना?
पंचतत्व में विलीन सखि री! इक दिन है सबको होना।

फिर क्यों मोह की आस सजी,बस प्रेम में जीवन को बुनले।
धन-दौलत,अभिमान त्याग सुख परोपकार ‘नीलम’ चुनले।।
सद् कर्म रहे अटल सदा,यही जीवन का असली सोना।
पंचतत्व में विलीन सखि री! इक दिन है सबको होना।।
नीलम शर्मा ✍️

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