Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Dec 2024 · 1 min read

एक खबर है गुमशुदा होने की,

एक खबर है गुमशुदा होने की,
किसी और कि नहीं खुद की ही खुद से दूर होने की,

बाजारों में छोड़ आए है पुरानी जिंदगी,
खुशी ,हंसना ठिठुरना सब में है अजीब सी बंदगी।

ना दोस्तों की मुलाकातें हैं ना ही दुख बांटने का ठिकाना,
अब तो इतना बहादुर बन गए हैं, हर पल काट रहे हैं करके बहाना।

सब कुछ तो छोड़ दिया रिश्ते दोस्त अपना घर,
सीखना तो तुम्हें भी चाहिए था कि कैसे जताना है मोहब्बत।

हर बार बस तेरे लिए दुआ करते-करते मानो भूलही गए,
अपने खातिर भी कुछ बचा कर रख पाते,

अब नहीं मन की तुझे फिर से मनाऊं,
अपने सही होने की बातें बताऊं,
नाराजगी तो दूर कर ही लूंगी अपने आप से,
एक खोई हुई मैं खुद को कैसे लौटाऊँ ??

Loading...