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23 Dec 2024 · 1 min read

उस पार

मुझे
विचार विहीन
स्वप्न मुक्त
होना है

विचार जिनकी
जंजीर की
जकड़ बहुत
पुरानी और
मज़बूत है

स्वप्न जिनका
मोह बहुत
प्रगाढ़ और
अभेद्य है

मैं
मंत्रमुग्ध
दिग्भ्रमित
सदियों
से इनकी
जकड़ और
पकड़ में
हूं

मगर जब से
ये रंगे हाथों
पकड़े गए
हैं

मैं इनका
सारा खेल
समझ गई हूं
सारे भेद
जान गई हूं

तब से
इनकी
जकड़
ढीली
होती
जा रही है

और मैं
अधीर होती
जा रही हूं
विचार विहीन
स्वप्न मुक्त
हो उस पार
जाने के लिए

जहां सत्य
मुझसे मिलने
के लिए उतना
ही आतुर है

© मीनाक्षी मधुर

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