प्रेम की इंतहा
प्रेम की इंतहा
मेरी जिंदगी मेरा प्यार हो तुम
मेरे जीवन की हर बहार हो तुम
मेरी हर खुशी तेरे दम पर है
मेरे हर ग़म का इलाज हो तुम
तुम्हें देख कर कुछ ऐसा लगे
मेरी आंखों की रोशनी हो तुम
मेरे हृदय में बसी है मूरत तेरी
धड़कते दिल का स्पंदन हो तुम
“मीत” चाहता है तुमको सदा से
प्रेम निश्छल और इंतहा हो तुम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्य प्रदेश
94258 22488