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6 Dec 2024 · 1 min read

बस इतना हमने जाना है…

मधुर क्षणों में, विकल पलों में, बस इतना हम ने जाना है।
एक जनम का नेह नहीं ये, नाता ये युगों पुराना है।

प्रथम परिचय से पहले भी,
तुम चले ख्वाब में आते थे।
खेल खेलते लुकाछिपी का,
भर-भर मन को भरमाते थे।

जानते रहे मन तुम मेरा, कुछ भी न तुमसे अजाना है।

तुम हो नभ के राजदुलारे,
आसान न तुमको छूना है।
साथ तुम्हारे अनगिन तारे,
अपना मन-आँगन सूना है।

आँक पलक से रूप तुम्हारा, मूंद नयन बस सो जाना है।

सजल घटा-सी देख छटा ये,
मन मयूर-सा खिल जाता है।
स्वाति-बूँद पा एक नेह की,
चातक-सा तृषा बुझाता है।
लिपट लपट से नेहिल लौ की, शलभ सरिस जल बुझ जाना है।

तुम्हीं पुरुष वो पूर्ण पुरातन,
मैं प्रकृति-सी नार- नवेली।
लाख जतन कर ले ये दुनिया,
बुझा न पाए गूढ़ पहेली।

तुमसे निकल तुम में समाना, आखिर तुम में खो
जाना है।
बस इतना हमने जाना है…।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)
“मनके मेरे मन के” से

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 77 Views
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