रास्तों में फिर वही,
रास्तों में फिर वही,
पैहरों का चक्कर आ गया..
जनवरी गुजारा नहीं था
फिर दिसंबर आ गया..
विशाल प्रजापति
रास्तों में फिर वही,
पैहरों का चक्कर आ गया..
जनवरी गुजारा नहीं था
फिर दिसंबर आ गया..
विशाल प्रजापति