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5 Dec 2024 · 1 min read

“लफ़्ज़-लफ़्ज़ नश्तर हैं,अर्थ में नसीहत है।

“लफ़्ज़-लफ़्ज़ नश्तर हैं,अर्थ में नसीहत है।
हाल-ए-बयां है जिनका,उनकी फ़जीहत है।
प्रखर फ़िर कबीरा की,याद पढ़ के आती है।
भाव भूमि सच को छूती,हाल-ए-हक़ीक़त है।।”

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Books from सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
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