Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Dec 2024 · 1 min read

संघर्ष पथ का मैं दीपक

सूरज सी तपिश ,चंद्रमा सी शीतलता, रात सी कालिमा और दिन सा उजाला
इन सारे प्रतिमानों से मेरा ना कोई वास्ता
संघर्ष पथ का मैं दीपक
रहता सदा जलता
ही जलता
जो बरखा मुझे बुझा न पाती …
बन तेल यादों की लौ जलाती .. टिमटिमाती ही रहती सदा ..

जो पवन मुझे बुझा न पाती
अंदर ही अंदर सुलगाती रहती यदा – कदा

जो लौ हमारी छिटक जाती
मिल जाएगी इसी पथ …बस यही संघर्ष है बदा
संघर्ष पथ का मैं दीपक
रहता सदा जलता
ही जलता

✍️अंजुपांडे अश्रु

Loading...