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2 Dec 2024 · 1 min read

और धुंध छंटने लगी

सूर्य की किरणे चली
और धुंध छंटने लगी

पूरब उम्मीद की दिशा
पिछे को छूटी निशा
पक्षी फिर चहचहायेगे
फूल चमन महकायेंगे

रात पहर में बंटने लगी
और धुंध छंटने लगी

दुख के बादल उड़ गये
हवा के झोके मुड़ गये
जो भुले भटके थे कभी
आपस में फिर जुड़ गये

खुशी की बयार बहने लगी
और धुंध छंटने लगी

नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला -कुशीनगर

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