क्यों न पहले अपने आप पर लिखूं
"हो न हो.."
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*यह कुंभ देश की धड़कन है, जाग्रत भारत स्वीकारो अब (राधेश्याम
कुछ लोग प्यार से भी इतराते हैं,
है प्रीत बिना जीवन का मोल कहाँ देखो,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
कुछ मुकाम पाने है तो काफी कुछ छोड़ने का साहस दिखाना होगा। क्
यूं ही नहीं मैंने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है,
आपकी गुड-मॉर्निंग व गुड-नाइट में इतना "गुड़" भी नहीं होना चाह
मुक़म्मल तो नहीं कोई बड़ा नादान समझे जो
मतदान से, हर संकट जायेगा;
आप के तीन सच्चे साथी आपका तन आपका धन और आपका हुनर।