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29 Nov 2024 · 1 min read

मत करना परवाह

मुक्तक
~~~
धोखा हो जाए कहीं, मत करना परवाह।
कर लेना है सँभलकर, कहीं और फिर चाह।
मंजिल मिल जाती हमें, जारी रहें प्रयास।
छल फरेब हटते स्वयं, बन जाती है राह।
~~~
बतला दो क्यों आपने, तोड़ दिया विश्वास।
जब हमको थी आपसे, स्नेह प्राप्ति की आस।
सहज सभी लगता रहा, बोल चाल व्यवहार।
धोखे और फरेब का, हो न सका आभास।
~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 178 Views
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