Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2024 · 5 min read

सात रंग के घोड़े (समीक्षा)

समीक्ष्य कृति: सात रंग के घोड़े ( बाल कविता संग्रह)
कवि : त्रिलोक सिंह ठकुरेला
प्रकाशक: साहित्य अकादमी राजस्थान एवं
इंडिया नेटबुक्स प्रा लि
प्रकाशन वर्ष: 2023
मूल्य :₹300
बच्चों के लिए रचा जाने वाला साहित्य बाल साहित्य कहलाता है। इसमें कविता, कहानी,नाटक और बाल उपन्यास आदि आते हैं। बाल साहित्य न केवल बच्चों का मनोरंजन करता है अपितु उन्हें शिक्षा प्रदान कर देश का एक जागरूक एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने में भी मदद करता है। अतः बाल साहित्यकारों के ऊपर यह गुरुतर दायित्व आता है कि वे बच्चों के लिए सृजन करते समय सावधानी बरतें। केवल दिल्ली बिल्ली की तुकबंदी मिलाकर मात्र अपनी पुस्तकों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से लेखन न करें। बालसाहित्य यदि मनोरंजक और रोचक होता है तो वह बच्चों में अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करने में भी सहायक होता है।
आज के बालक कल के भारत के नागरिक हैं। वे जिस प्रकार का साहित्य पढ़ेगें उसी के अनुरुप उनका चरित्र निर्माण होगा। कविताओं और कहानियों के माध्यम से हम बच्चों को शिक्षा प्रदान करके उनका चरित्र निर्माण कर सकते हैं और तभी ये बच्चे जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकेंगे।कविताओं और कहानियों के माध्यम से हम उनके मन को वह शक्ति प्रदान कर सकते हैं जो उनके मन में संस्कार, समर्पण, सद्भावना और भारतीय संस्कृति को विकसित कर सके।
बाल साहित्यकार के रूप में स्थापित त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी का दूसरा बालकविता संग्रह ‘सात रंग के घोड़े’ है। इस संग्रह में विभिन्न विषयों पर आधारित कुल चालीस कविताएँ हैं। इससे पूर्व आपका एक कविता संग्रह ‘नया सबेरा’ नाम से प्रकाशित हो चुका है। ठकुरेला जी के इन दोनों ही बालकविता संग्रहों की साहित्य जगत में चर्चा और सराहना हुई है। किसी भी बाल कविता की कृति का मूल्यांकन करने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को निकष के रूप में इस्तेमाल किया चाहिए। यदि संग्रह की अधिकांश रचनाएँ निर्धारित तत्त्वों पर खरी उतरती हैं तो कृति निस्संदेह उपादेय होती है।
बालकविताओं का गेय होना बहुत जरूरी है। यदि कविता में यदि,गति और लय का निर्वहन समुचित रूप से नहीं किया जाता तो कविता का प्रवाह बाधित होने लगता है और यह बच्चे के मन में कविता के प्रति अरुचि का भाव पैदा करता है। बच्चे कविता को पढ़कर नहीं अपितु गाकर मजे लेते हुए उसका पाठ करते हैं। ‘मुर्गा बोला’ कविता पर दृष्टिपात करने से स्पष्ट होता है कि चौपाई छंद में रचित इस छंद में गेयता और प्रवाह का अद्भुत मेल है।
मुर्गा बोला- मुन्ने राजा।
सुबह हो गई, बाहर आजा।।
पूरब में सूरज उग आया।
चिडियों ने मिल गाना गाया।।
फूलों ने खुशबू बिसराई।
प्यार बाँटने तितली आई।।
हवा बही सुख देने वाली।
सब को भायी छटा निराली।
तुम भी देखो भोर सुहानी।
जागो, करो न आनाकानी ।।
बाल कविताओं को बच्चों के मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर ही रचा जाना चाहिए। कविता किस आयु-वर्ग के बच्चों के लिए सृजित की जा रही है,उस आयुवर्ग की जरूरतें क्या हैं? यदि कवि को यह ज्ञात है तो निश्चित रूप से कवि की रचनाएँ उसके ऊपर न केवल सकारात्मक प्रभाव डालती हैं अपितु उसको सही दिशा देने में भी सहायक होती हैं।बाल्यावस्था में बच्चों का शारीरिक ,सामाजिक और संज्ञानात्मक विकास अतीव तीव्र गति से होता है। अतः कोमल बालमन को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रखा जाना चाहिए। उन्हें शिक्षाप्रद और मूल्यपरक संदेश से ओत-प्रोत रचनाओं के माध्यम से उनका सामाजिक, संज्ञानात्मक और भाषिक विकास करने में मदद करनी चाहिए।’गंध गुणों की बिखरायें’ एक ऐसी ही कविता है जिसमें बालमन को जीवन-मूल्य की शिक्षा देने का प्रयास है-
हे जगत-नियंता यह वर दो,
फूलों से कोमल मन पायें।
परहित हो ध्येय सदा अपना,
पल पल इस जग को महकायें।।
हम देवालय में वास करें,
या शिखरों के ऊपर झूलें,
लेकिन जो शोषित वंचित हैं,
उनको भी कभी नहीं भूलें,
हम प्यार लुटायें जीवन भर,
सबका ही जीवन सरसायें।
परहित हो ध्येय सदा अपना,
पल पल इस जग को महकायें।।
बाल कविताओं की भाषा और शब्दावली कविता के प्रति रुचि और अरुचि का प्रमुख कारण बन सकती है। यदि बाल कविताओं की भाषा क्लिष्ट होगी तो उन्हें कविता के अर्थ को समझने और उच्चारण में कठिनाई होगी। यदि ऐसा होगा तो निस्सन्देह यह स्थिति बालमन को कविताओं से विरत करेगी। क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से कविता का प्रवाह भी बाधित होने लगता है। ठीक इसके विपरीत कवि के कंधों पर ही यह जिम्मेदारी भी होती है कि वह अपनी कविता या साहित्य के माध्यम से नए-नए शब्दों से परिचित कराए जिससे उनका शब्द-भंडार समृद्ध हो।बाल कवि का यह काम दोधारी तलवार पर चलने जैसा होता है। एक सिद्धहस्त, मँजा हुआ कवि इस काम को बखूबी अंजाम देने में सफलता प्राप्त कर लेता है। ‘सात रंग के घोड़े’ की ‘तिरंगा’ कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं-
श्वेत रंग सबको समझाता सदा सत्य ही ध्येय हमारा,
है कुटुंब यह जग सारा ही बहे प्रेम की अविरल धारा,
मानवता का गान तिरंगा। हम सब की पहचान तिरंगा ।।
हरे रंग की हरियाली से जन जन में खुशहाली छाए,
हो सदैव धन धान्य अपरिमित हर ऋतु सुख लेकर ही आए,
अमित सुखों की खान तिरंगा। हम सब की पहचान तिरंगा ।।
बाल काव्य की कविताओं के साथ सटीक, प्रासंगिक चित्रों का होना आवश्यक होता है। कविता के साथ बने हुए चित्ताकर्षक रंगों के चित्र न केवल बच्चों को कविता समझने में सहायक होते हैं वरन साथ ही कविता या साहित्य के प्रति उनके मन में लगाव उत्पन्न करने में भी मददगार होते हैं। ‘सात रंग के घोड़े’ संग्रह में प्रत्येक कविता के साथ कविता से संबंधित एक सुंदर चित्र भी है जो बालमन को कविता के प्रति आकर्षित करने में सक्षम है और बच्चों ‘पठन संस्कृति’ को विकसित करने में सहायक है।
बाल साहित्य बच्चों की कल्पनाशक्ति को जाग्रत करता है और उन्हें नई चीज़ों के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस दृष्टि से ‘भला कौन है सिरजनहार’ कविता का निम्नलिखित अंश अवलोकनीय है-
हर दिन सूरज को प्राची से,
बड़े सबेरे लाता कौन?
ओस-कणों के मोहक मोती
धरती पर बिखराता कौन?
कौन बताता सुबह हो गयी,
कलिकाओ मुस्काओ तुम।
अलि तुम प्रेम-गीत दुहराओ
पुष्प सुगंध लुटाओ तुम।।
बाल साहित्य बच्चों को अच्छे और बुरे के बीच अंतर करना भी सिखलाता है। ‘मछली रानी’ कविता की कुछ पंक्तियाँ इस बात की तरफ साफ संकेत करती हैं-
किन्तु न जल को गंदा करना,
व्यर्थ बहाने से भी डरना।
जब तक जल तब तक ही जीवन,
जल के बिना पड़ेगा मरना ।।
जल से ही यह धरा सुहानी,
कल के लिए बचाना पानी।
बचत करें तो कल सुखमय है,
भूल न जाना मछली रानी।।
समग्रतः दृष्टिपात से स्पष्ट होता है कि त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी का बाल कविता संग्रह ‘सात रंग के घोड़े’ बाल साहित्य के लिए तय किए गए सभी मानकों पर खरा उतरता है। इसकी प्रत्येक कविता बालमन पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सक्षम है। सात रंग के घोड़े’ की कविताएँ बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें सीख भी देती हैं तथा उन्हें भारतीयता से ओत-प्रोत एक संस्कारवान नागरिक बनाने में भी सहायक हैं। निश्चित रूप से त्रिलोक सिंह ठकुरेला जी का यह बाल कविता संग्रह हिंदी साहित्य में अपना यथेष्ट स्थान प्राप्त करेगा और बाल कविता के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। मैं ईश्वर से कामना करता हूँ कि वह आपको स्वस्थ और सुदीर्घ जीवन प्रदान करे जिससे आप बालसाहित्य की श्रीवृद्धि कर सकें। इति।
समीक्षक,
डाॅ बिपिन पाण्डेय

1 Like · 162 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
ज़िन्दगी में हर रिश्ते का,
Pramila sultan
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
रूठे हुए को तो मना लूं मैं,
श्याम सांवरा
न मंजिल है कोई न कोई डगर
न मंजिल है कोई न कोई डगर
VINOD CHAUHAN
देशभक्ति
देशभक्ति
विशाल शुक्ल
दामन जिंदगी का थामे
दामन जिंदगी का थामे
Chitra Bisht
सपनों में खो जाते अक्सर
सपनों में खो जाते अक्सर
Dr Archana Gupta
वक्त की किमत
वक्त की किमत
Avani Yadav
कमियों पर
कमियों पर
रेवा राम बांधे
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मुक्तक
मुक्तक
Pritam shrawastawi
योग अपनाए
योग अपनाए
dr rajmati Surana
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
तेरी बाहों में दुनिया मेरी
तेरी बाहों में दुनिया मेरी
पूर्वार्थ देव
मैं कौन हूँ
मैं कौन हूँ
Chaahat
स्वामी विवेकानंद जी ने सत्य ही कहा था कि
स्वामी विवेकानंद जी ने सत्य ही कहा था कि "एक हिन्दू अगर धर्म
ललकार भारद्वाज
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
राजा अगर मूर्ख हो तो पैसे वाले उसे तवायफ की तरह नचाते है❗
शेखर सिंह
79king - là nhà cái trực tuyến uy tín hàng đầu Việt Nam
79king - là nhà cái trực tuyến uy tín hàng đầu Việt Nam
79kinglimited
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन  में  नव  नाद ।
प्रीतघोष है प्रीत का, धड़कन में नव नाद ।
sushil sarna
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
शीर्षक -तुम ही खेवनहार
Sushma Singh
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
Amulyaa Ratan
अदाकारी
अदाकारी
Suryakant Dwivedi
घाव करे गंभीर
घाव करे गंभीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
वक़्त और नसीब
वक़्त और नसीब
gurudeenverma198
नारी शक्ति
नारी शक्ति
Rajesh Kumar Kaurav
"नेवला की सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
Being corrected means we have been wrong , so it can be diff
Being corrected means we have been wrong , so it can be diff
पूर्वार्थ
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हर गम दिल में समा गया है।
हर गम दिल में समा गया है।
Taj Mohammad
भुला के बैठे हैं
भुला के बैठे हैं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...