यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
दर्द -दर्द चिल्लाने से सूकून नहीं मिलेगा तुझे,
खेजड़ी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मैं तो राष्ट्र प्रेमी हूँ
वक्त मिलता नही,निकलना पड़ता है,वक्त देने के लिए।
दर्शन के प्रश्न (Questions of Philosophy)
कभी आंखों में ख़्वाब तो कभी सैलाब रखते हैं,
ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य की सिंदूरी साधना
नींद तब आये मेरी आंखों को,
*********** एक मुक्तक *************
अब नरमी इतनी भी अच्छी नही फितरत में ।
बिछड़ गए तो दिल उम्र भर लगेगा नहीं
होना जरूरी होता है हर रिश्ते में विश्वास का
कवि प्रकृति के विपरीत है...!
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)