Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2024 · 2 min read

अब तो जागो हिंदुओ

सम्भल देख भी ना सभलोगे तो, बोलो फिर कब सभलोगे।
कल्कि अवतार की जगह हैं संभल, बोलो फिर कब सभलोगे।।

सम्भल बोल रहा हैं खुलकर, आँख खोल लो हिंदुओं।
अब सोने से काम चल ना, कान खोल लो हिंदुओं।।

चीख रही हैं हर मस्जिद अब, खोद खुदा को झाक लो।
कब तक वार सहोगे खुद पर, हाथ खोल लो हिंदुओ।।

कायर बनकर काम चल ना, तेज बोल लो हिंदुओ।
बहुत धरा हैं धीर भी अब तक, घर से निकलो हिंदुओं।।

बटते रहे तो कटते रहोगे, हुंकार भरो अब हिंदुओं।
भाईचारा बहुत हो गया, सर चढ़कर बोलो हिंदुओं।।

रक्त हमारा बहुत पी लिया, अब शांत रहो ना हिंदुओं।
बहन बेटियां बहुत हैं मरली, अब तो बदलो हिंदुओं।।

जर जोरू और जमीन गई सब, आँख खोल लो हिंदुओं।
बहू बेटियो को ध्यान मे धरके, कमर को कसलो हिंदुओ।।

लव जिहाद से जगे अभी ना, शर्म करो तुम हिंदुओं।
थूक मिलाकर करा जिहाद, फिर भी न जागे हिंदुओं।।

पत्थर खा कर जगे ना तुम तो, लानत तुम पर अब हिंदुओ।
मल मूत्र भी पीकर जगे नहीं तुम, अब क्या करे ये हिंदुओं।।

कहां सुलाया जमीर हैं तुमने, जमीर जाग लो हिंदुओं।
कब्र खोदकर रखी तुम्हारी, तैयार खड़े ये हिंदुओ।।

सम्भल बोल रहा है अब तो, सभल जाओ अब हिंदुओं।
एक रहोगे तो ही सैफ रहोगे, और क्या बोले हिंदुओं।।

गया हाथ से गंधार तुम्हारे, कुछ भी ना सोचा हिंदुओं।
लाहौर गया और ढाका भी, बस मरते रहे तुम हिंदुओं।।

कश्मीर और केरल गए हाथ से, कहां गए तुम हिंदुओ।
कल्कि अवतार की जगह है संभल, याद करो ये हिंदुओं।।

संभल बोल रहा है तुमसे, हे लानत तुम पर हिंदुओं।
आज भरोसे मोदी और योगी, कल क्या होगा हिंदुओ।।

टुकड़ो मे हैं देश को बाटा, फिर भी मूंग दल रहे ये हिंदुओं।
स्वप्न तोड़कर निद्रा से जागो, अब बेशर्म बनो ना हिंदुओं।।

गंगा भी अपनी यमुना भी अपनी, तहजीब दिखाओ ना हिंदुओ।
ललकार करे हैं पुकार तुम्ही से, ललकार दहाड़ो हिंदुओ।।

Language: Hindi
4 Likes · 149 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ललकार भारद्वाज
View all

You may also like these posts

Tele789 - Sư kê hội ngộ gia nhập cùng thế giới gà hot hit 20
Tele789 - Sư kê hội ngộ gia nhập cùng thế giới gà hot hit 20
tele789day
होली
होली
Mukesh Kumar Sonkar
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
"भोपालपट्टनम"
Dr. Kishan tandon kranti
चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
चालाकियों से काम जरूर चल जाते हैं मगर रिश्ते नहीं..!
Iamalpu9492
रिश्तों की परिभाषा
रिश्तों की परिभाषा
Sunil Maheshwari
इन रेत के टुकडों से तुम दिल बना ना पाये।
इन रेत के टुकडों से तुम दिल बना ना पाये।
Phool gufran
एक अदद दोस्त की आरज़ू
एक अदद दोस्त की आरज़ू
ओनिका सेतिया 'अनु '
स्मार्ट फ़ोन
स्मार्ट फ़ोन
अरशद रसूल बदायूंनी
शक
शक
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
कर्म का निवेश
कर्म का निवेश
Mukund Patil
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
नूरफातिमा खातून नूरी
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
कफन
कफन
Kanchan Khanna
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
कवनो गाड़ी तरे ई चले जिंदगी
आकाश महेशपुरी
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
सर्दी के हैं ये कुछ महीने
Atul "Krishn"
रक्त दान के लाभ पर दोहे.
रक्त दान के लाभ पर दोहे.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो निभाते रहे
कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो निभाते रहे
Shreedhar
व्यंजन की कविता
व्यंजन की कविता
krupa Kadam
Shankarlal Dwivedi reciting his verses in a Kavi sammelan.
Shankarlal Dwivedi reciting his verses in a Kavi sammelan.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
*मिलता है संगीत भी, हमको जैसे शोर (कुंडलिया)*
*मिलता है संगीत भी, हमको जैसे शोर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वैकेंसी इतनी कम है कैसे होगा सिलेक्शन
वैकेंसी इतनी कम है कैसे होगा सिलेक्शन
पूर्वार्थ
जाति
जाति
Adha Deshwal
*सत्य की आवाज़*
*सत्य की आवाज़*
Dr. Vaishali Verma
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
जुए और चुनाव में उतना ही धन डालें, जिसे बिना परेशानी के क्वि
Sanjay ' शून्य'
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
खुश हो लेता है उतना एक ग़रीब भी,
Ajit Kumar "Karn"
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
कुंडलिया छंद की विकास यात्रा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
Loading...