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27 Nov 2024 · 1 min read

है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।

है भरम कि तेरी दंभलालसा सिंचित करने को चरणो में गिर जाउंगा।
अनभिज्ञ हो प्रिय! स्वाभिमान में गरल मानकर मैं गंगाजल पी जाउंगा।
-शशि “मंजुलाहृदय”

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