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24 Nov 2024 · 1 min read

इश्क

होंठो से होंठ मिलाना इश्क़ नहीं होता,
कुछ रातें साथ बिताना इश्क़ नहीं होता।

ये तो ज़रूरतें हैं हुज़ूर इस इश्क़ की,
दो जिस्मों का मिल जाना इश्क़ नहीं होता।

इश्क़ मेहबूब के चेहरे पर सिर्फ खुशी चाहता है,
उसे अकेले में ले जाना इश्क़ नहीं होता।

इश्क़ तो मीलों दूर रहकर भी करते हैं यहां लोग,
रोज़ मिलना मिलाना इश्क़ नहीं होता।

खूबसूरत चेहरा देखकर सिर्फ चाहत होती है,
चाहत का बढ़ जाना इश्क़ नहीं होता।

अपने दिलबर से कोई ख़्वाहिश ना करना इश्क़ है,
उसे पाना इश्क़ नहीं होता।

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