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20 Nov 2024 · 1 min read

हक़ीक़त

मसलहात नज़रअंदाज़
करते रहे ,
अना से सर-अंजाम
करते रहे ,
अपने ग़ुरूर के सुरूर में
हम ‘अर्श पर थे ,
हक़ीक़त से दो-चार हुए तो
हम फ़र्श पर थे ।

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