sp 19 साहित्य में रस
sp 19 साहित्य मे रस
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साहित्य में नवरस होते हैं पर इनमें दो रस बढ़ जाते
हम अल्पज्ञ जो ज्ञात हमें खुलकर के आपको बतलाते
श्रृंगार हास्य करुणा और रौद्र वीर रस तो पांचवा होता है
भयानक वीभत्स अद्भुत शांत वात्सल्य और भक्ति रस होता है
श्रृंगार को सुनकर युवा वर्ग के चेहरे पर आती लाली
सुनकर के हास्य रस की कविता जनता भी बजाती है ताली
होता है करुण रस विव्हल मन की आंखों में आंसू आते
जब करते रौद्र रस की चर्चा शंकर जी हमें याद आते
जब आता वीर रस हमें याद दुश्मन देश के दहल जाते
वीभत्स रस के दर्शन तो हमें मरघट में अघोरी करवाते
अद्भुत रस ऐसा होता है जिसको ना समझ पाता मानव
प्रभु के दर्शन से मिले शांत रस दानव भी बन जाता मानव
वात्सल्य के दर्शन होते हैं हमको माता की ममता में
भक्ति रस में डूबे सूरदास कोई भी नहीं है क्षमता में
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब