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17 Nov 2024 · 1 min read

अमत्ता घनाक्षरी

अमत्ता घनाक्षरी
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पवन सुखद चल,
बरस जलद जल,
सरस हृदय पर,
पल पल सुख भर ।

नमन शिवम कर,
उर शिव मह धर,
निशि दिन दुख हर,
भव चल अब तर।

नव गढ़ पथ सत
जहर उगल मत
मधुर वचन कर
पग पग शुभ जर ।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

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