जिस अयोध्या नगरी और अयोध्या वासियों को आप अपशब्द बोल रहे हैं
वो हमको देखकर मुस्कुराने लगे,
नज़्म _ आख़िर इनका क़ुसूर क्या है ?
आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल,
गम के दिनों में साथ कोई भी खड़ा न था।
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बुर्जुर्ग सुरक्षित कैसे हों।
विधवा विरह
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
जीवन तो सुख- दुख का संसार है
दोस्त तुम्हारा होना जैसे शाम ए अवध का होना है
सिन्दूर संग इंसाफ करो!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम