sp33 हर मानव एक बूंद/ आशा और निराशा
sp33 हर मानव एक बूंद
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हर मानव एक बूंद है जल की और जीवन अथाह सागर है
कम हो गई कोई भी बूंद तो सागर को क्या फर्क पड़ेगा
रोज नई बूंदे बरसेंगी हैं आकाश में इतने बादल
उसकी अपनी अलग है दुनिया बादल को क्या फर्क पड़ेगा
आंखों का सौंदर्य बढ़ रहा सुरमा या काजल लगने पर
नजर लगाओ नजर उतारो काजल को क्या फर्क पड़ेगा
जिसकी जिसकी प्यास हो जितनी प्यास बुझाएगा वह अपनी
सबकी प्यास बुझाने वाली छागल को क्या फर्क पड़ेगा
कोई जाएगा पहाड़ पर कोई तलाशेगा समुद्र को
सहरा में वो ही भटकेगा मरुथल को क्या फर्क पड़ेगा
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आशा और निराशा दोनों
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आशा और निराशा दोनों पलड़े एक तराज़ू के
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
सुख दुख तो अक्सर आते हैं कुछ बांटो का रूप धरे
और इनका आना जाना ही जीवन क्रम कहलाता है
बड़े बड़े ज्ञानी डूबे हैं अक्सर इनके झंझावातो में
मगर अधिकतर लोग अकेले ऎसे ही हालातो मे
जिनसे टकरा कर ही मानव पुरुषार्थी बन जाता है
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
नज़र नही आते दुनिया को जिनके आँसू जिनके गम
उनके लिए समय बन जाता खुद ही एक बड़ा मरहम
यह भर देता घाव सभी के मन की जोत जलाता है
और तुला का ऊपर नीचे होना नियम कहाता है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब