वंशबेल

मेरे पिता ने एक पुरानी सी डायरी में
लिखकर रखी है अपनी वंशावली।
सब पिताओं के नाम, विधिवत, शाखाएं बनाकर
उनके पिता, फिर उनके पिता,
फिर उनके भी पिता,
उनके, उनके, उनके भी पिता।
पर मैं आश्वस्त हूं कि वो नहीं जानते होंगे
उन औरतों के नाम जो उनकी उन्नत वंशबेल पोसने में मर खप गईं।
नहीं जानते होंगे इन पिताओं की मांओं के नाम। यहां तक कि अपने पिता की दादी का भी नाम,
लोग जानते हैं कि उनके परबाबा ने की थीं दो शादियां।
पर वो नहीं जानते
कि उनकी वंशबेल बढ़ाने के लिए,
किस पुत्रहीना या बांझ ने सौतन परछी थी!
वो नहीं जानते कि,
उनके वंश के किस पुरुष को जन्मने के लिए किस महिला ने रखे थे सैकड़ों निर्जल व्रत।
कौन थी वो जो किसी को जन्मते ही मर गई,
वो नहीं जानते।
वो इनमें से एक का भी नाम नहीं जानते।
लोग जानते हैं, किस भूमि पर किस तरह के पेड़ उगते हैं।
लेकिन नहीं जानते, कि उनके वंश की किस स्त्री के पेट से कौन उगा था
जानने की कोशिश भी नहीं करते
कभी भी नहीं।
© शिवा अवस्थी