भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
ये दीवानगी नहीं तो और क्या है ।
डाल-डाल तुम होकर आओ, पात-पात मैं आता हूँ।
कठपुतली ( #नेपाली_कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दरवाज़ों पे खाली तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही दुहराता हूँ, फिरभ
हर दिन माँ के लिए
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
अगर हौसला हो तो फिर कब ख्वाब अधूरा होता है,
मैं निकल गया तेरी महफिल से
देश हमे देता है सबकुछ हम भी तो कुछ देना सीखे, समाज परिवर्तन
चलो दोनों के पास अपना अपना मसला है,
भारत के युवाओं के भविष्य को बनाना है तो