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6 Mar 2025 · 1 min read

मेरी कलम

मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
धर्म की राह चल सर्वोच्च ऊंचाई तक जाएगी
बुराइयों से लड़कर, सारी कमियों से भिड़कर
भ्रष्टाचार के पहाड़ से भी टकराएगी

मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
मेहनत की राह चल अपने लक्ष्य तक जाएगी
असफलता को दे चुनौती ,किताबों से लिपटकर
सफलता पाकर जीत के जश्न तक भी जाएगी

मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
सत्य की राह चल धर्म का परचम लहराएगी
असमानता से टकराकर , प्रबलता से प्रमुखता तक
ज्ञान को शास्त्र बना कानून तक भी जाएगी

मेरी कलम से निकली विचारों की गंगा
गरीबी को मात दे, बुरी प्रथाओं से उद्धार होकर
अशिक्षा खत्म कर, आतंकवाद से लड़कर
मेरी कलम शासन – प्रशासन बन सब जीत जाएगी

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