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12 Nov 2024 · 1 min read

अस्त-व्यस्त सी सलवटें, बिखरे-बिखरे बाल।

अस्त-व्यस्त सी सलवटें, बिखरे-बिखरे बाल।
रैन द्वन्द्व का कह गई, आँखें सारा हाल।
कैसे कह दें रात के , उत्पातों की बात –
सोच -सोच के हो गए, सुर्ख़ शर्म से गाल ।

सुशील सरना/

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