Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Nov 2024 · 1 min read

ग़ज़ल : उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी

उसने देखा मुझको तो कुण्डी लगानी छोड़ दी
फिर मेरे होठों पे इक आधी कहानी छोड़ दी

मैं छुपाए फिर रहा था इश्क़ अपने गाँव में
और फिर ज़ालिम ने गर्दन पे निशानी छोड़ दी

दिल बड़ा सुनसान था हैरान था वीरान था
फिर किसी ने दिल की गलियों में रवानी छोड़ दी

लोग सब हैरान थे जिसने सुनी बातें मेरी
मैंने फिर अपनी कहानी ही सुनानी छोड़ दी

मुझको हँसता देख लें तो दुख से मर जाते हैं लोग
मैं बड़ा मजबूर था ख़ुशियाँ मनानी छोड़ दी

हो गया ग्यारह का तो दिखने लगी मजबूरियाँ
बीस का होते ही अपनी नौजवानी छोड़ दी

मुझको मेरी माँ ज़रूरी और उसको सिर्फ़ मैं
इसलिए अपनी मोहब्बत ही पुरानी छोड़ दी

एक दिन आँखें खुलीं तो पास में कोई न था
छोड़ दी दुनिया ये सारी ज़िंदगानी छोड़ दी

Loading...