sp51 अगर मुकम्मल इश्क नहीं
sp51 अगर मुकम्मल इश्क
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अगर मुकम्मल इश्क नहीं तो उम्र कटे मयखाने में
और कामयाबी मिलने पर हल्दी नमक जुटाने में
सिर्फ उमर भर जूते चलते तर्क कुतर्क सभी जायज
इससे बेहतर वह था वह थी दुनिया को बतलाने में
तुमको भूल ना पाएंगे लिखने वालों का गजब हाल
दाह कर्म पूरा होते ही चले गए मयखाने में
अच्छी चीज शराब नहीं है दुनिया को बतलाने वाले
अपनी तो हर शाम डूबा देते हैं ख़ुद मयखाने में
मेरा साथी सिर्फ जाम है और न कोई दुनिया में
उन्होंने काटी अपनी जिंदगी बोतल को बहलाने में
जिसके साथ जाम टकराया उसको अपना दर्द बताया
कोई नहीं वहां पर चूका अपना हाल बतलाने में
साकी सागर और शबाब आसानी से मिलते हैं
पूरा जीवन कट जाएगा उमर खय्याम कहलाने में
खुशियों की परछाई होती आती और चली जाती है
कभी गुजर जाता है जीवन अपनी पीर बताने में
हम तो हैं नादान मुसाफिर बस्ती बस्ती भटक रहे
मनचाहे पड़ाव की खातिर भटक रहे वीराने में
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब