पूज के देवी ने,देवी को फिर देवी को पाया है ,
तेजधार तलवार से, लड़कियों के चक्कर से, जासूसों और चुगलखोर से
इश्क में हैरानगी,इश्क की दीवानगी
एक सरल प्रेम की वो कहानी हो तुम– गीत
जीवन रंगमंच
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बहुत ज्यादा करीब आना भी एक परेशानी का सबब है।
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
नाजुक है तो क्या हुआ,शीशे का किरदार
पिता जी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद