Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2024 · 1 min read

हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कत

हम शरीर मन बुद्धि से परे जा सकते हैं, बस हमें साहस की आवश्कता है, हमें सभी चीजों के प्रति संदेह करना होगा।
~ रविकेश झा

105 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मजाक और पैसा काफी सोच
मजाक और पैसा काफी सोच
Ranjeet kumar patre
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
एक बड़ी कीमत
एक बड़ी कीमत
Minal Aggarwal
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
Girija Arora
सावन
सावन
Rambali Mishra
तुम समझ पाओगे कभी
तुम समझ पाओगे कभी
Dhananjay Kumar
अच्छा लगा
अच्छा लगा
Kunal Kanth
ग्रेविटी (gravity)
ग्रेविटी (gravity)
singh kunwar sarvendra vikram
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
गलत आचारों का जन्म गलत विचारों से होता है।
गलत आचारों का जन्म गलत विचारों से होता है।
Rj Anand Prajapati
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत।
बेटियों का जीवन_एक समर– गीत।
Abhishek Soni
3358.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3358.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,
Dr fauzia Naseem shad
वो ख्वाब सजाते हैं नींद में आकर ,
वो ख्वाब सजाते हैं नींद में आकर ,
Phool gufran
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
फायदा
फायदा
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ध्यान एकत्र
ध्यान एकत्र
शेखर सिंह
लौट के आजा हनुमान
लौट के आजा हनुमान
Baldev Chauhan
**देखी  सारी  दुनिया जग  में  कोई ऐसा पाया जा**
**देखी सारी दुनिया जग में कोई ऐसा पाया जा**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
रोआ के न जइहऽ
रोआ के न जइहऽ
आकाश महेशपुरी
किताबे पढ़िए!!
किताबे पढ़िए!!
पूर्वार्थ
तारे बुझ गये फिर भी
तारे बुझ गये फिर भी
अर्चना मुकेश मेहता
The emotional me and my love
The emotional me and my love
Chaahat
वक्त को जिसने खोया है ।
वक्त को जिसने खोया है ।
DR. RAKESH KUMAR KURRE
अनगणित भाव है तुम में , तुम ही हर भाव में बसी हो ,
अनगणित भाव है तुम में , तुम ही हर भाव में बसी हो ,
पूर्वार्थ देव
कुछ पल अपने लिए
कुछ पल अपने लिए
Rekha khichi
अनुभूति...
अनुभूति...
ओंकार मिश्र
कविता तुम से
कविता तुम से
Awadhesh Singh
सरकार
सरकार
R D Jangra
Loading...