गणपति वंदना
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
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जीवन को पैगाम समझना पड़ता है
यूं कौन जानता है यहां हमें,
विभिन्न संप्रदायों, मजहबों और मतों की स्थापना की सच्चाई (The truth behind the establishment of various sects, religions and beliefs)
तेरा एहसास
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" स्त्री 2 से लौटेगी बॉक्स ऑफिस की रौनक़ " - रिपोर्ट