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4 Nov 2024 · 1 min read

शायरी

शायरी

आदत हो गई हैं धोखा खाने की
अब आँखों में नमी नहीं होती
बहुत यकीं की मैंने अपनी यकीं पर
अब खुद पर यकीं नहीं होती……,,,,

✍️पुष्पराज देवहरे “भारतवासी “

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