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3 Nov 2024 · 1 min read

sp54 मैं जी नहीं सकूंगी

sp 54 मैं जी नहीं सकूंगी
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मैं जी नहीं सकूंगी सनम आपके बिना
दिखती है रोज शाम खड़ी हाथों में दोना लिये

हर बार उसकी यह आवाज सुन रहे हैं हम
इस बार गोलगप्पे को तीखा बना कर दो
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शानदार वर्णन पढ़कर मुख में पानी भर आया है
बहुत पुरानी यादों ने भी दी है दिल के दरवाजे पर दस्तक

कहां कहां क्या अच्छा मिलता आसानी से बता दिया है
कहन आपकी पूरा वर्णन सुधिया करने लगती नर्तन

समय नहीं आता है वापस पर यादें तो आ जाती हैं
और कभी सपनों में आकर मन को भी बहला जाती हैं
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खुश हुई मां बैंक में अफसर मेरा छोरा हुआ
फेयर एंड लवली लगी और काला धन गोरा हुआ

लेकिन सपने धूल में उनके मिले सी डी बनी
नोट मिट्टी हो गये भूसा भरा बोरा हुआ
@
एक नया जुमला आया है अपनी निंदा करता हूं
कैसे समझाऊं कैसे खुद को शर्मिंदा करता हूं

नए-नए आ रहे तरीके राजनीति के दलदल से
मरी हुई आत्मा को अपनी फिर से जिंदा करता हूं
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब

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