यु निगाहों का निगाहों से,
हे माँ अम्बे रानी शेरावाली
*धन्य अयोध्या जहॉं पधारे, पुरुषोत्तम भगवान हैं (हिंदी गजल)*
शहर में ताजा हवा कहां आती है।
नायक कैसा हो? (छंदमुक्त काव्य )
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बुद्धि की जो अक्षमता न होती
उसके इल्जाम में मैं गुनाहगार था, तोहमत उसी ने लगाया जो भागीद
आजकल की पीढ़ी अकड़ को एटीट्यूड समझती है
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
हिन्दी दोहे :- सत्य की खोज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
लहज़ा याद है, बातों को भूल गए हैं
#पंचैती
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
लोग याद तभी करते हैं, उनकी जररूत के हिसाब से।