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2 Nov 2024 · 1 min read

मिल के बिछड़ गये,

मिल के बिछड़ गये,
बिछड़ के मिलें कभी ।
शायद अब ज़िंदगी में,
कभी इत्तिफ़ाक़ हो ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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