पर्यावरण की पुकार
पर्यावरण की पुकार
पर्यावरण की पुकार सुन
जितने पटाखे जलाओगे उतने पौधे लगाना तुम
बहक न जाना
भटक न जाना
जहरीले बारूदी पटाखे के चक्कर में
अच्छा होगा तुम दिए ही जला लेना
पर्यावरण बचा लेना ।
आप भी सुरक्षित
और मैं भी सुरक्षित।
सुन लो मेरी पुकार
मै पर्यावरण हूं यार
जो तुम्हे शुद्ध प्राणदायक वायु ,खनिज,सौंदर्य,खुशबू , औषधि,फूल – फल,जल
सब कुछ तो देता हूं।
तनिक भी मेरा ख्याल रखो
मै तुम्हारे पूरा खयाल रखूंगा।
अनारदाना,फुलझड़ी,रॉकेट और तो और लक्ष्मी बम
इसे तो कभी छुएंगे न हम
कई मासूमों के हाथ जले
ये खबर पिछले साल के अखबारों में छपे पड़े।
घर घर दीप ही जले
पर्यावरण भी वले वले
खुशी से गले मिले
भाईचारे बढ़ाए
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
“कविराज”
भारत