जितने लगाए तुमने हम पर इल्जामात ,
आधा अधूरा सा,थकान भरा तन,
"हर राह पर खड़ा होगा तेरी हिफाजत करने वाला
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
-कलयुग में सब मिलावटी है -
बुंदेली दोहा - दुगइ (दालान)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माँ बाप खजाना जीवन का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
साहित्य जिंदगी का मकसद है
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
महाराजा अग्रसेन, प्राचीन अग्रोहा और अग्रवाल समाज
नाना भांति के मंच सजे हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हर सिम्त दोस्ती का अरमान नहीं होता ।