जाणै द्यो मनैं तैं ब्याव मं
ए खुदा - ए - महबूब ! इतनी तो इनायत कर दे ।
पुरानी तूलिका से नए चित्र उकरने हैं
ढूंढ कर हमने फिर भी देखा है
पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
हे नवजवान तू क्या कर नहीं सकता
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज फिर कोई अपना हताश हो गया
*नारी है अबला नहीं, नारी शक्ति-स्वरूप (कुंडलिया)*
एक वक्त था कि हम साथ हुआ करते थे,
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
रमेशराज की कहमुकरी संरचना में 10 ग़ज़लें