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15 Dec 2024 · 1 min read

मोर पुक्की के दाई

मोर पुक्की के दाई =

तहि तो आँच मोर पुक्की के दाई
कौन जन्म म बने कर्म करेव ता
तोर सही शुघर बाई में हा पायेव
हर जन्म जन्म मा पातेव तोला
जिंदगी भर तर जातिच मोर चोला

करथे मोला अड़ बड़ मया
अंतस ल मोर झांकथे
हर सुख दु:ख म मोर साथ देथे
अउ हर बात ला मोर मानथे

पढ़ाई लिखाई भले कम करें हे
फिर भी समझते सबके जज्बात ला
हंस के निभाथे सबके काम ला
खुश रइथे ज्यादा नई हे हमर कमाई
ऐसे बने सुघर हे मोर पुक्की के दाई

खंती जाथव त जोरथे बोरे बासी
खाथव मैहा पेट भर चेच भाजी
काला बतावव वोकर हाथ से सेवाध ला
सूते सुते खावत हव दुध के मलाई
अइसे हे मोर पुक्की के दाई

कहु नई पातेव येसना बाई
त हो जातीच मोर कलाई
काकर से वोसरातेव बात ला
कौन थामतीच दुख म मोर हाथ ला

दिन रात जतनथे लइका मन ला
सास ससुर देवर के रखथे धयान
नई देख सकय अपन मन के कलाई
ऐसे बने सुघर हे मोर पककी के दाई

रंजीत कुमार पात्रे
कोटा बिलासपुर

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